Not known Details About Shiv chaisa
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देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूँ लोक फैली उजियारी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
जय गिरिजा Shiv chaisa पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
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मातु पिता भ्राता सब कोई। more info संकट में पूछत नहिं कोई॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला। जरत सुरासुर भए विहाला॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥